किसी के उतने ही रहो जितना वो तुम्हारा हैं…!
क्या कहूं जिंदगी के बारे में, एक तमाशा था, उम्र भर देखा !!
कौन किसके साथ कब तक रहता है, ये उसकी ज़रूरतें तय करती हैं।
कुछ तो बिखरा बिखरा सा है, ये ख्वाब है, ख्वाहिश है या मेरा मन
पता नहीं क्या बदला है, बस अब पहले जैसा कुछ नहीं है।
घुटन बस भीड़ मै ही नहीं होती कभी कभी अपने घर मै भी होने लगती।
कुछ भी झूठा हो सकता है, मगर अकेले में बहाए आँसू नही...!!
उदास दिल, उलझी हुई जिंदगी, और थके हुए है हम !
मैं अब खुद भी नहीं चाहता, की कोई अब मुझे चाहे !