किसी और की तारीफ़ क्यों करना, जब मेरी ही मोहब्बत लाज़वाब है !!
तेरा चंद लम्हे बात करना, मेरे सारे लम्हें सवार देता है !!
मुझे तुमसे वहाँ मिलना है, जहाँ बिछड़ने का कोई रिवाज ना हो !!
जुडे. हम 'सबसे है, पर डूबे सिर्फ 'तुझमें है !!
अपनी उदासी मुझे देदे, मेरे हिस्से का तू मुस्कुराया कर !!
कमियां लाख सही पर, तुमसे ज्यादा जरूरी कोई नहीं
बड़ी महँगी दौलत हो तुम मेरी और इसे उम्र भर संभाल कर रखना चाहता हूँ मैं
पता नही क्यूं दिन ब दिन, तुमसे मिलने की तलब बढ़ती जा रही है.!
कोई मांगी हुई मन्नत नहीं, नसीब वाला इश्क़ हो तुम ... !