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तुलसी के पत्ते चबाने के फायदे : अब पता चला तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी क्यों कहते है

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तुलसी के पत्ते चबाने के फायदे | Tulsi Patte Khane Ke Fayde

तुलसी को हमारी परंपरा और आयुर्वेद में बहुत खास जगह दी गई है जिसे न सिर्फ पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा जाता है क्योंकि इसमें ऐसे गुण होते हैं जो शरीर को बीमारियों से बचाने और स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

आजकल की जिंदगी में, जहां तनाव, गलत खान-पान और प्रदूषण हमारी सेहत पर बुरा असर डालते हैं, वहीं तुलसी के पत्ते चबाना एक आसान और असरदार उपाय हो सकता है। यह न केवल हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है, बल्कि दिल, पेट, सांस और स्कीन की समस्याओं में भी फायदेमंद है।

इस लेख में हम जानेंगे कि तुलसी के पत्ते चबाने से हमारी सेहत को कौन-कौन से फायदे होते हैं, इन्हें सही तरीके से कैसे चबाना चाहिए, और इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

तुलसी के पत्ते चबाने के स्वास्थ्य फायदे:

तुलसी, जिसे आयुर्वेद में “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद है। इसके पत्ते चबाने से कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है।

1. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

तुलसी में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से तुलसी के पत्ते चबाने से शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है। यह सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी आम समस्याओं से बचाने में सहायक है।

2. श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद

तुलसी का को खाने से श्वसन तंत्र को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके पत्ते बलगम को कम करते हैं और गले की खराश, खांसी, अस्थमा और सर्दी जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं। तुलसी के पत्तों में मौजूद गुण फेफड़ों की सफाई करते हैं और श्वसन मार्ग को खोलने में मदद करते हैं।

3. तनाव कम करता है

तुलसी के पत्तों में एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो मानसिक तनाव और चिंता को कंट्रोल करने में सहायक हैं। यह मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और दिमाग को शांत करता है। तुलसी के पत्ते नियमित चबाने से कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर कम होता है, जिससे व्यक्ति अधिक शांत और ऊर्जा से भरपूर महसूस करता है।

4. पाचन सुधारता है

तुलसी पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है। इसके पत्ते गैस, अपच, पेट दर्द और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। तुलसी के पत्तों का सेवन पेट की सफाई करता है और भोजन को जल्दी पचाने में मदद करता है। यह पेट के अल्सर को ठीक करने में भी उपयोगी हो सकता है।

तुलसी के पत्ते चबाने का सही तरीका 

1. सुबह खाली पेट चबाएं

सुबह का समय स्वास्थ्य के लिए सबसे उत्तम माना जाता है क्योंकि यह वह समय होता है जब हमारा शरीर पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित करता है। खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से उनके एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण सीधे हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं।

2. 2-3 पत्तों का सेवन करें

तुलसी के पत्ते अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं, इसलिए इनका अधिक मात्रा में खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। अधिक तुलसी चबाने से दांतों में संवेदनशीलता हो सकती है क्योंकि तुलसी में कुछ एसिडिक तत्व होते हैं। पाचन तंत्र पर असर डाल सकता है, खासकर अगर किसी को गैस्ट्रिक समस्या हो तो इसलिए हमेशा ताजा और साफ पत्तों का ही उपयोग करें।

3. चबाने के बाद पानी पिएं

तुलसी के रस का असर तब बढ़ता है जब इसे शरीर तेजी से अवशोषित करता है। इसके लिए पानी पीना आवश्यक है पानी पीने से रस का बेहतर पाचन होता है और यह पूरे शरीर में अच्छी तरह से फैलता है। तुलसी के पत्ते चबाने के बाद गुनगुना पानी पीने से डिटॉक्सिफिकेशन में मदद मिलती है। एक बात को याद रखे तुलसी चबाने के बाद 30 मिनट तक चाय, कॉफी, या दूध को न पिए ।

जड़ी-बूटियों की रानी” क्यों कहा जाता है

 

तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा जाता है क्योंकि इसने आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा पद्धति में अत्यधिक महत्व रखा है। तुलसी एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करती है इसके साथ ही इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में हमारे शरीर को सक्षम बनाते हैं। यह सूजन को कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।

 

भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में तुलसी को पवित्र माना गया है इसे देवी लक्ष्मी का अवतार कहा जाता है और पूजा के लिए इसे जरूरी समझा जाता है। तुलसी का उपयोग प्राचीन काल से ही अलग – अलग बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। यह सर्दी-खांसी, जुकाम, सांस की समस्याओं जैसे दमा और ब्रोंकाइटिस, पाचन से जुड़ी समस्याओं, स्कीन रोग और घाव भरने में मदद करती है।

 

तुलसी का पर्यावरणीय महत्व भी काफी अधिक है क्योंकि यह वातावरण से जहरीली गैसों को अवशोषित करती है और ऑक्सीजन प्रदान करती है, जिससे यह हरित पर्यावरण को बनाए रखने में सहायक होती है। इसके अलावा, तुलसी मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। यह तनाव और चिंता को कम करती है। आयुर्वेद में इसे “एडाप्टोजेन” कहा गया है, जो शरीर को तनाव के साथ सामंजस्य बैठाने में मदद करता है।

अपने औषधीय, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व के कारण तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा जाता है ।

 

 

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