काबुली चना खाने के फायदे | Kabuli Chana Khane Ke Fayde
काबुली चना जिसे छोला या सफेद चना भी कहा जाता है इसके साथ ये चने भारतीय रसोई का एक प्रमुख हिस्सा है और इसे कई तरह से रेसीपी में भी शामिल किया जाता है। क्योकि, इन काबुली चनो प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का मुख्य स्रोत है और स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते है। इस लेख में हम काबुली चना खाने के फायदे इसके लाभ, स्वास्थ्य समस्याओं में इसके प्रभाव, इसे खाने की मात्रा और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे। काबुल
1. काबुली चना खाने के क्या फायदे हैं?
(i) प्रोटीन का अच्छा स्रोत
काबुली चना वेजिटेरियन लोगों के लिए प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत है क्योकि इसके प्रति 100 ग्राम काबुली चने में लगभग 19 ग्राम प्रोटीन होता है, जो हमारे शरीर के अलग- अलग कार्यो को पूरा करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है साथ ही हमारी कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। जो लोग मांसाहार नहीं करते, उनके लिए काबुली चना प्रोटीन की कमी को पूरा करने का सबसे अच्छा ऑप्शन है।
(ii) हड्डियों के लिए फायदेमंद
काबुली चने में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज तत्व होते हैं, जो हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होते हैं। नियमित रूप से काबुली चना खाने से हमारी हड्डियाँ मजबूत रहती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की समस्याओं का खतरा कम होता है । खासकर वृद्ध लोगों और महिलाओं के लिए काबुली चना एक महत्वपूर्ण भोजन है।
(iii) दिल के लिए फायदेमंद
काबुली चने में फाइबर और पोटेशियम होता है, जो रक्तचाप ( Blood Pressure ) को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं और इसमें फोलेट और मैग्नीशियम भी होता है, जो हृदय की सेहत को बनाए रखने में मददगार साबित होता है। इसके अलावा, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो रक्त वाहिनियों को स्वस्थ रखते हैं और हृदय रोगों के खतरे को कम करते हैं। इसे नियमित रूप से खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और हार्ट अटैक की संभावना कम होती है।
(iv) वजन घटाने में सहायक
काबुली चना फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है और इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे बार-बार खाने की आदत पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह खासकर उन लोगों के लिए लाभकारी है जो वजन कम करना चाहते हैं। काबुली चना खाने से शरीर मे ऊर्जा तो मिलती है लेकिन इसमें कैलोरी कम होती है, जिससे वजन घटाने की प्रक्रिया में सहायता मिलती है।
(v) ब्लड शुगर नियंत्रण में सहायक
काबुली चना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिससे यह रक्त में शुगर के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाता है इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक उपयुक्त भोजन है क्योंकि यह अचानक ब्लड शुगर के बढ़ने से बचाता है। अगर हम इस अपने खाने में नियमित करते है तो ब्लड शुगर संतुलित रहता है और इसलिए डॉक्टर डायबिटीज के मरीजों को इसे अपने भोजन में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
2. चना खाने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
(i) हृदय रोग
काबुली चने में मौजूद फाइबर और अच्छे फैट्स जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड हृदय की सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसलिए ये फाइबर का उच्च स्तर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है और दिल की रक्त वाहिनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के जोखिम आना की रिस्क कम हो जाती है ।
(ii) मधुमेह
काबुली चने का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स मधुमेह ( Sugar Patient ) के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है क्योकि ये शुगर को धीरे-धीरे रक्त में अवशोषित करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है जो कार्बोहाइड्रेट्स को धीरे-धीरे तोड़ता है, जिससे रक्त शर्करा में तेज़ उछाल नहीं आता है
(iii) एनीमिया
काबुली चने में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है, जो शरीर में नए रक्त को बनाने में सहायक होता है इसके अलावा ये आयरन हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक होता है, जो रक्त में ऑक्सीजन पहुँचाने का कार्य करता है। जो लोग एनीमिया या खून की कमी से ग्रस्त हैं, उनके लिए काबुली चना एक बेहतरीन डाइट है।
(iv) पाचन तंत्र की समस्याएँ
काबुली चना में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है, जो पाचन में सहायक होता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। नियमित रूप से इसको खाने से पेट की सेहत को बेहतर बनाता है और आंतों को स्वस्थ रखता है इसके अलावा फाइबर आंतों में मल को बेहतर तरीके से निकलने में मदद करता है, जिससे पेट साफ और स्वस्थ रहता है।
3. एक दिन में कितने चना खाने चाहिए?
आमतौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में 1 से 1.5 कप (लगभग 150-200 ग्राम) काबुली चना खाना चाहिए। इससे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। चने को ज़्यादा मात्रा में खाने से पेट में गैस, फुलाव, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हर व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकताएँ अलग होती हैं, इसलिए बेहतर होगा कि अपनी दैनिक ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए ही इसका सेवन करें। अगर किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति में हैं, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अपने भोजन में शामिल करें।
4. चना कब नहीं खाना चाहिए?
(i) पेट की समस्याओं में
जिन लोगों को गैस, ब्लोटिंग, या पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं, उन्हें काबुली चने खाने के लिए कम करना चाहिए। चने में भी कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो पेट में गैस उत्पन्न कर सकते हैं और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।
(ii) किडनी की बीमारी
किडनी रोगियों के लिए काबुली चना बहुत अधिक मात्रा में लेना उचित नहीं है, क्योंकि इसमें प्रोटीन और फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। याद रखे किडनी पर ज्यादा दबाव डालने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन किडनी की समस्याओं को बढ़ा सकता है।
(iii) गठिया के मरीज
काबुली चने में प्यूरिन की मात्रा होती है, जो शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा सकता है। गठिया के मरीजों को इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी समस्या बढ़ सकती है।
(iv) पेट के अल्सर
अगर किसी को पेट में अल्सर है, तो काबुली चने को खाने से दर्द और जलन बढ़ सकती है। ऐसे मरीजों को डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए।
काबुली चना खाने का सही समय और तरीका
पहला तरीका – काबुली चना खाने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है इसलिए इसे रात भर भिगोकर सुबह खाली पेट खाना चाहिए जिससे पाचन तंत्र को पाचन करने में अधिक फायदा मिलता है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व जल्दी अवशोषित होते हैं।
दूसरा तरीका – इन चनों को उबालकर, उसके बाद सलाद में मिलाकर या इन्हें चाट के रूप में भी खाया जा सकता है।
इनके आलवा इन्हें सब्जियों और अन्य पौष्टिक चीजों के साथ मिलाकर खाने से इसके पोषक तत्व और भी अच्छे से शरीर में अवशोषित होते हैं।